Thursday, September 16, 2010
अफ़सर और कचहरी के फ़ेरे
नौकरी में रहते हुए घर में भुखमरी की नौबत आ पड़े तो एक व्यक्ति कितना क्रूर कदम उठा सकता है, इसकी बानगी बिहार में देखने को मिली। लगभग एक साल से वेतन नहीं मिलने से दुखी नगर निगम कर्मचारी ने बुधवार को खुद को आग में झोंक दिया। सूचना पर पहुंची पुलिस गंभीर हालत में उसे लेकर अस्पताल पहुंची, जहां उसका इलाज चल रहा है। बताया जाता है कि लगभग एक वर्ष से वेतन नहीं मिलने के कारण उसका परिवार भुखमरी से जूझ रहा था, जिसके बाद उसने यह कदम उठाया। पटना के वीरचंद पटेल पथ स्थित नगर निगम की जलापूर्ति शाखा मुख्यालय परिसर में बुधवार को विभिन्न मांगों को लेकर कर्मचारी प्रदर्शन कर रहे थे। इसी दौरान शाम लगभग 5:00 बजे परसा एतबारपुर के रहने वाले दयानंद राम ने शरीर पर केरोसिन छिड़क आग लगा ली। हालांकि साथियों ने उसे बचाने का प्रयास किया पर तब तक वह बुरी तरह झुलस चुका था। आनन-फानन में उसे इलाज के लिए पीएमसीएच में भर्ती कराया गया। जहां उसकी हालत गंभीर बनी हुई है। बताया जाता है कि लगभग एक वर्ष से वेतन नहीं मिलने को लेकर वह कई अधिकारियों से गुहार लगा चुका था पर कोई सुनवाई नहीं हुई। हालात से तंग आकर उसने यह कदम उठाया है। फतेहाबाद, मे जमीन की अदालती लड़ाई हार चुके एक दंपति ने बुधवार को स्थानीय अदालत परिसर में जहर निगल लिया। घटना के बाद कोर्ट में हड़कंप मच गया। दंपति को आनन-फानन में अस्पताल ले जाया गया, जहां अभी दोनों का इलाज चल रहा है। 42 वर्षीय महेंद्र सिंह का गांव हरिपुरा में 19 कनाल 12 मरले जमीन को लेकर इसी गांव के अमरचंद से विवाद चल रहा था। इस विवाद में महेंद्र सिंह की सुप्रीम कोर्ट में अपील खारिज होने के बाद ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट अमित शर्मा की अदालत ने 10 सितंबर को जमीन की रजिस्ट्री अमरचंद के नाम करने और 15 को अदालत में रजिस्ट्री पेश करने के आदेश दिए थे। बुधवार को अमरचंद रजिस्ट्री पेश करने अदालत आया हुआ था। इस दौरान महेंद्र सिंह व उसकी पत्नी कुलवंत कौर भी अदालत में मौजूद थे। जैसे ही अमरचंद ने जमीन की रजिस्ट्री पेश की, महेंद्र ने अपने जेब में रखी जहर की दो शीशियों में एक अपनी पत्नी को दे दी व एक खुद ले ली। देखते ही देखते दोनों ने न्यायाधीश के सामने ही जहर पी लिया। उनकी हालत बिगड़ते देख जज ने तुरंत एंबुलेंस बुलाई। एंबुलेंस के आने में देरी पर पुलिस पीसीआर में दोनों को सामान्य अस्पताल में लेकर पहुंची। महेंद्र व अमरचंद के बीच जमीन को लेकर 2004 से विवाद चल रहा था। दोनों अदालती लड़ाई लड़ रहे थे। 29 मई 2008 को तत्कालीन ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट नरेंद्र कौर ने अमरचंद के हक में फैसला दिया। महेंद्र ने फैसले के खिलाफ अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश जेएस दहिया की अदालत में अपील डाल दी। इस पर अदालत ने अमरचंद को जमीन की बजाय ब्याज सहित रकम महेंद्र सिंह को लौटाने के आदेश दे दिए। इसके खिलाफ अमरचंद पंजाब व हरियाणा हाई कोर्ट पहुंच गए। यहां फैसला उनके पक्ष में आया। इसके बाद महेंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली लेकिन यहां उनकी याचिका रद हो गई
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