Monday, January 10, 2011

फ्री होल्ड कराने का हक पट्टाधारक का होगा या उस संपत्ति पर काबिज व्यक्ति का

Jan 10,
नई दिल्ली । ऐसी नजूल संपत्ति जिसका पट्टा वर्षो पहले समाप्त हो चुका है और दोबारा उसका नवीकरण नहीं कराया गया, उसे फ्री होल्ड कराने का हक पट्टाधारक का होगा या उस संपत्ति पर काबिज व्यक्ति का, इस कानूनी मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट विचार करेगा। कोर्ट ने अलीगढ़ की ऐसी ही एक संपत्ति के विवाद में उत्तर प्रदेश सरकार, अलीगढ़ प्रशासन और अन्य पक्षकारों को नोटिस जारी किया है।
न्यायमूर्ति पी. सतशिवम और बी.एस. चौहान की पीठ ने अलीगढ़ के छेदालाल नामक व्यक्ति की याचिका पर उत्तर प्रदेश सरकार, अलीगढ़ के जिलाधिकारी व अपर जिलाधिकारी [नजूल] और मूल पट्टेदार के कानूनी वारिसों आदि को नोटिस जारी किया। इससे पहले छेदालाल के वकील डी.के. गर्ग ने पीठ से कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार का 1 दिसंबर, 1998 का शासकीय आदेश ठीक नहीं है जिसमें खत्म हो चुके पंट्टे के पट्टेदार को भी नजूल संपत्ति फ्री होल्ड कराने का हक दिया गया है। हाई कोर्ट ने याचिका खारिज करते समय इस बात पर ध्यान नहीं दिया कि अवधि समाप्त होने के बाद नजूल संपत्ति [भूमि] पर पट्टेदार का अधिकार नहीं रह जाता। वास्तव में जिसके कब्जे में संपत्ति है उसे ही फ्री होल्ड कराने का हक मिलना चाहिए। कुछ हद तक उनकी दलीलों से सहमति जताते हुए पीठ ने टिप्पणी की कि नियम के मुताबिक तो पट्टा अवधि खत्म होने के बाद पट्टाधारक का संपत्ति पर कोई हक नहीं रह जाता वह भूमि तो वापस सरकार में निहित हो जाएगी। यह कहते हुए कोर्ट ने प्रतिपक्षियों को जवाब दाखिल करने के लिए नोटिस जारी कर दिए। छेदालाल ने इलाहाबाद हाई कोर्ट से याचिका खारिज होने के बाद सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
यह मामला सुभाष चौक, खैर, अलीगढ़ का है। 1959 में यहां नजूल संपत्ति 1785/84 का पट्टा रौती प्रसाद के हक में दिया गया। 1964 में छेदालाल ने उस जमीन पर बनी दुकान किराए पर ली। छेदालाल के मुताबिक वे तब से वहां किराएदार हैं और 1966-67 में मूल पट्टाधारी रौती प्रसाद की मृत्यु के बाद उनके वारिसों ने छेदालाल को बाहर निकालने के लिए मुकदमा डाला। लेकिन वारिस सुप्रीम कोर्ट तक से मुकदमा हार गए। इस बीच उत्तर प्रदेश सरकार ने नजूल संपत्ति फ्री होल्ड कराने के समय-समय पर शासनादेश जारी किए। इन आदेशों में पट्टेदार और जिनके पट्टे की अवधि समाप्त हो चुकी है दोनों ही तरह के मामलों में नजूल संपत्ति फ्री होल्ड कराने के नियम जारी किए गए। याचिकाकर्ता का कहना है कि जिनके पट्टे की अवधि समाप्त हो चुकी है या जिन्होंने पट्टे की शर्तो का उल्लंघन किया है उन्हें नजूल संपत्ति फ्री होल्ड कराने का हक नहीं मिलना चाहिए। उन संपत्तियों में यह हक उस व्यक्ति को मिलना चाहिए जिसके कब्जे में संपत्ति है। जबकि, हाईकोर्ट के फैसले में कहा गया है कि शासनादेश में पट्टेदार और खत्म हो चुके पट्टे के मामलों में कोई भेद नहीं किया गया है