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Thursday, October 7, 2010

पालीमोनी का सिद्धांत :पीठ जस्टिस काटजू

पालीमोनी का सिद्धांत :पीठ जस्टिस काटजू
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि यदि कोई महिला किसी व्यक्ति के साथ कुछ दिन तक रह कर उससे दूर हो जाती है तो उसे मुआवजा देने के लिए गुजारा भत्ते की तर्ज पर कोई एक व्यवस्था विकसित किए जाने की आवश्यकता है। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस मार्कंडेय काटजू और जस्टिस टी.एस. ठाकुर की पीठ ने कहा, हमें अमेरिकी प्रांत कैलिफोर्निया की तरह क्यों नहीं दूसरी पत्नी के लिए गुजारा भत्ता का एक कानून विकसित करना चाहिए, क्योंकि वह हिंदू विवाह अधिनियम के तहत गुजारा भत्ते के लिए दावा नहीं कर सकती।
अदालत ने एडवोकेट जयंत भूषण को अदालत को मदद देने के लिए अदालती सहयोगी के रूप में नियुक्त किया। बिना विवाह के साथ रहने वाली महिला के लिए मुआवजे की व्यवस्था कैलिफोर्निया के सर्वोच्च न्यायालय ने 1977 में मार्विन बनाम मार्विन के मामले में किया था। मिशेल ट्रिओला मार्विन ने अभिनेता ली मार्विन पर मुकदमा
किया था। हालांकि मिशेल मुकदमा नहीं जीत पाई थीं, लेकिन उनके वकील ने इसके लिए एक नया शब्द 'पालीमोनीÓ गढ़ दिया। इसके लिए उसने प्रचलित शब्द 'एलिमोनीÓ में 'पालÓ को जोड़ दिया। मिशेल मार्विन ने दावा किया था कि 1971 में उसने अभिनेता ली मार्विन के साथ रहना शुरू किया था।
ली पहले से शादीशुदा थे। मिशेल ने दावा किया था कि ली ने उसे आजीवन सहारा देने का वादा किया था। मिशेल इसलिए मुकदमा हार गई, क्योंकि वह अपने बीच हुए करार को साबित नहीं कर पाई थीं। लेकिन तभी से पालीमोनी का सिद्धांत विकसित हो गया है। 'एलीमोनीÓ शादीशुदा जोड़े के बीच तलाक के बाद पत्नी को गुजारा-भत्ते की व्यवस्था करता है तो 'पालीमोनीÓ बिना शादी के साथ रहने वाले जोड़े के अलग होने पर महिला के गुजारे भत्ते की व्यवस्था करता है।
सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को याची डी. वेलुसामी की खिंचाई की जिसने हिंदू विवाह अधिनियम के तहत पत्नी की व्याख्या की आड़ में अपनी दूसरी पत्नी डी. पचैम्माल को किसी भी तरह का मुआवजा देने से इनकार कर दिया। जस्टिस काटजू ने कहा, पिछले 14 सालों तक आपने उसके साथ का आनंद लिया और अब आप मुआवजा देने से भागना चाहते हैं।